मुंबई में बड़ा धोखाधड़ी कांड: इम्तियाज पटनी फिर सुर्खियों में, NRI के बाद एक और मामला उजागर



मुख्य संपादक नदीम कपूर..

मुंबई के व्यावसायिक क्षेत्र में एक बड़ा धोखाधड़ी मामला सामने आया है, जिसमें आरोपी इम्तियाज इस्माइल पटनी पर गंभीर आरोप लगे हैं। शिकायतकर्ता मोहम्मद मुख्तियार अहमद वरया ने पायधुनी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि इम्तियाज इस्माइल पटनी ने अदालत में फर्जी और गुमराह करने वाले दस्तावेज प्रस्तुत कर एक महत्वपूर्ण केस को गलत तरीके से बंद करा दिया।

फर्जी दस्तावेजों से 25 करोड़ की हेराफेरी का आरोप
शिकायत के अनुसार, यह मामला यूसुफ इब्राहिम गार्डी चैरिटी ट्रस्ट से संबंधित है, जो 1929 में पंजीकृत हुआ था। इस ट्रस्ट के तहत मुंबई के भेंडी बाजार और नागदेवी में स्थित कई संपत्तियों का प्रबंधन किया जाता है। मूल मालिक और एनआरआई यूसुफ इब्राहिम गार्डी के अनुसार, 7 लोगों के एक गिरोह ने फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी और अन्य दस्तावेज बनाकर खुद को ट्रस्टी घोषित कर दिया। इस फर्जीवाड़े के जरिए उन्होंने संपत्तियों से लगभग 25 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।

पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द होने के बावजूद अदालत में गुमराह करने की कोशिश
मामले की गंभीरता को देखते हुए आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने 2020 में एफआईआर दर्ज की थी (C.R. No. 49/2020)। इस एफआईआर को दर्ज कराने वाले इम्तियाज इस्माइल पटनी को यूसुफ गार्डी ने पहले पावर ऑफ अटॉर्नी दिया था, ताकि वह कानूनी लड़ाई लड़ सकें। लेकिन बाद में 11 सितंबर 2022 को यह पावर ऑफ अटॉर्नी रद्द कर दी गई।

इसके बावजूद, आरोप है कि इम्तियाज पटनी ने अदालत को इस तथ्य की जानकारी नहीं दी और खुद को अधिकृत व्यक्ति बताकर तीन फर्जी आवेदन दाखिल किए:
1. 19 नवंबर 2022 को एक पत्र, जिसमें उन्होंने अपनी ही दायर की गई आपत्ति को वापस लेने के लिए वकील को निर्देश दिया।
2. 30 नवंबर 2022 को दो अलग-अलग ‘नो ऑब्जेक्शन’ आवेदन, जिसमें एक हस्तलिखित और एक टाइप किया हुआ था।

कैसे हुआ मामले का पर्दाफाश?
सितंबर 2024 में यूसुफ गार्डी जब भारत लौटे, तो उन्होंने पाया कि उनकी शिकायत पर दर्ज मामला अचानक बंद कर दिया गया है। जब उन्होंने मामले की जांच करवाई, तो पता चला कि इम्तियाज पटनी ने अदालत को गुमराह कर “C” समरी रिपोर्ट स्वीकार करवाई थी। अदालत ने उनके फर्जी आवेदन पर भरोसा करके केस बंद कर दिया, जिससे असली आरोपी बच निकले।

गंभीर धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि इम्तियाज पटनी ने जानबूझकर कोर्ट और पुलिस को गुमराह किया। उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज करने की मांग की गई है, जिनमें धोखाधड़ी, जालसाजी, विश्वासघात, न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और सबूत नष्ट करने जैसी गंभीर गैर-जमानती धाराएं शामिल हैं।

पुलिस और न्यायालय से निष्पक्ष जांच की अपील
इस मामले में शिकायतकर्ता मोहम्मद मुख्तियार अहमद वरया ने मुंबई पुलिस कमिश्नर और डीसीपी (ज़ोन-II, नागपाड़ा) से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि इम्तियाज पटनी ने न केवल कानूनी प्रक्रिया में हेराफेरी की, बल्कि असली आरोपी को बचाने के लिए झूठे दस्तावेज भी पेश किए।

अब देखना यह है कि मुंबई पुलिस इस मामले में क्या कदम उठाती है और क्या न्यायालय इस मामले को दोबारा खोलने का आदेश देती है। इस धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले की निष्पक्ष जांच की मांग बढ़ती जा रही है।


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