भारत में लाल बत्ती पर रोक: वीआईपी संस्कृति पर सरकार की सख्ती![]()
नदीम कपूर मुख्य संपादक।
नई दिल्ली – भारत सरकार ने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों की कारों पर लाल बत्ती (रेड बीकन) के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह ऐतिहासिक फैसला 1 मई 2017 से लागू होगा और इसमें किसी को भी छूट नहीं दी जाएगी।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने घोषणा करते हुए कहा, “1 मई से कोई भी वाहन लाल बत्ती नहीं लगाएगा। इसमें कोई अपवाद नहीं होगा।” नए नियमों के तहत अब केवल आपातकालीन सेवाएं जैसे एम्बुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस वाहन ही नीली बत्ती (ब्लू बीकन) का उपयोग कर सकेंगे।
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब लंबे समय से वीआईपी संस्कृति की आलोचना हो रही थी। आलोचकों का कहना था कि लाल बत्तियों का उपयोग एक “स्टेटस सिंबल” बन चुका था, जिससे आम जनता को ट्रैफिक में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता था।
राजनीतिज्ञों और सरकारी अधिकारियों पर यह आरोप भी लगता रहा है कि वे लाल बत्तियों का उपयोग कर शहर की जाम सड़कों से आसानी से निकल जाते हैं और अपनी “महत्ता” का प्रदर्शन करते हैं।
श्री जेटली ने स्पष्ट किया कि अब केंद्र और राज्य सरकारों को यह तय करने का अधिकार नहीं होगा कि कौन लाल बत्ती का उपयोग कर सकता है।
सरकार के इस फैसले को भारत की जमीनी “वीआईपी संस्कृति” पर करारा प्रहार माना जा रहा है, जो नेताओं और अधिकारियों को आम नागरिकों से ऊपर स्थान देती रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस निर्णय को लेकर ट्विटर पर अपने अनुयायियों से मिली प्रतिक्रियाओं का स्वागत किया और इसे “लोकतंत्र को मजबूत करने वाला कदम” बताया।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसे “बहुत बड़ा लोकतांत्रिक निर्णय” कहा।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 2015 में ही पहल करते हुए अपनी कार से लाल बत्ती हटवा दी थी।
गौरतलब है कि 2013 में ही भारत के सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केवल संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, कैबिनेट मंत्री, वरिष्ठ न्यायाधीश आदि को ही लाल बत्ती लगाने की अनुमति दी जा सकती है।
यह फैसला न केवल ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि लोकतंत्र में समानता के सिद्धांत को भी मजबूती देता है।
