उरण हिट एंड रन केस: बंबई उच्च न्यायालय का सख्त रुख
मुख्य संपादक नदीम कपूर ।
मुंबई: उरण हिट एंड रन मामले में बंबई उच्च न्यायालय ने जमानत याचिका संख्या 3412/2024 पर सुनवाई करते हुए सख्त रुख अपनाया है। इसी के साथ पनवेल के सत्र न्यायालय ने उरण पुलिस स्टेशन में पंजीकृत सीआर संख्या 168/2024 के मामले में जांच के निर्देश दिए हैं।
इस मामले में पुलिस अधिकारियों पी. सूर्यकांत कांबले, पीएसआई अमोल खाडे और पूर्व सीनियर पीआई सतीश निकम की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। इन अधिकारियों पर आरोपी जय चंद्रहास घरत की मदद करने और जांच में जानबूझकर चूक करने के आरोप हैं।
न्यायालय के आदेश और आरोपी की मदद के आरोप
बंबई उच्च न्यायालय ने पाया कि इन अधिकारियों ने आरोपी की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जमानती धारा 304 (ए) को जोड़ दिया, जिससे उसे भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304 के कठोर प्रावधानों से बचाकर तुरंत जमानत मिल सके। न्यायालय ने इस कृत्य को न्याय प्रक्रिया में हस्तक्षेप और आरोपी को अनुचित लाभ पहुंचाने की साजिश करार दिया है।
न्यायालय का कड़ा संदेश
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी पुलिस अधिकारी द्वारा कानून से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करने के लिए उच्च अधिकारियों को उचित कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
इस घटनाक्रम ने पुलिस प्रशासन और न्याय प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। न्यायालय ने इस पूरे प्रकरण की विस्तृत जांच के आदेश देते हुए यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कानून का पालन पूरी निष्पक्षता और पारदर्शिता के साथ किया जाए।
क्या है आगे की कार्रवाई?
इस मामले में न्यायालय के निर्देशों के बाद जांच तेज कर दी गई है। पनवेल सत्र न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है और उरण पुलिस स्टेशन को पूरी पारदर्शिता से जांच करने के निर्देश दिए हैं।
आगे देखना होगा कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है और न्यायालय के इस सख्त रुख का क्या असर पड़ता है।
