मुंबई, 11 मार्च 2025– नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) मुंबई के ज़ोनल डायरेक्टर अमित घावटे (IRS) पर फर्जी मामले गढ़ने और निर्दोष लोगों को फंसाने के गंभीर आरोप लगे हैं। यह मामला तब सामने आया जब एनसीबी ने दावा किया कि उन्होंने 1.431 किलोग्राम मेफेड्रोन (MD) जब्त किया है, जिसकी कीमत 60 लाख रुपये से अधिक बताई जा रही है।
एनसीबी मुंबई की कार्रवाई पर सवाल
एनसीबी के अनुसार, 21-22 अक्टूबर 2022 की रात, अधिकारियों ने एक जाल बिछाकर ठाणे के मुंब्रा इलाके से एक स्थानीय वितरक को 36 ग्राम मेफेड्रोन के साथ गिरफ्तार किया था। इसके बाद चार और लोगों की गिरफ्तारी हुई। लेकिन जांच में सामने आया कि यह पूरा मामला गढ़ा हुआ है और इसे अमित घावटे की निगरानी में अंजाम दिया गया था।
फर्जी केस गढ़ने के पीछे की वजह
– गिरफ्तारी से एक सप्ताह पहले ही, एनसीबी मुख्यालय दिल्ली ने 60 किलोग्राम मेथामफेटामाइन की एक बड़ी खेप पकड़ी थी—10 किलो जामनगर, गुजरात और 50 किलो एनसीबी मुंबई कार्यालय के पास।
– लेकिन इस बरामदगी का पूरा श्रेय एनसीबी दिल्ली को मिला, जिससे मुंबई यूनिट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे।
– बताया जा रहा है कि इससे अमित घावटे नाराज हो गए और अपनी साख बचाने के लिए एक फर्जी केस बनवाने का फैसला किया।
*फर्जी रेड और गढ़ी हुई जब्ती की कहानी
– एनसीबी मुंबई ने दो स्थानों पर छापेमारी की और 11 लाख रुपये बरामद किए, लेकिन कोई नशीला पदार्थ नहीं मिला।
– विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, अमित घावटे ने अपनी टीम को 245 ग्राम मेफेड्रोन खरीदने और इसे बांद्रा में गिरफ्तार किए गए एक संदिग्ध पर लगाने का आदेश दिया।
बेबुनियाद गिरफ्तारी और झूठे सबूत
– जिस व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया, उसका मोबाइल पहले से ही निगरानी में था, लेकिन किसी भी नशीले पदार्थ से जुड़ी कोई गतिविधि नहीं पाई गई।
– इसके बावजूद, उसे झूठे सबूतों के आधार पर फंसा दिया गया।
*अवैध संचार माध्यम का इस्तेमाल
– अमित घावटे पर आरोप है कि वह किसी भी आदेश को लिखित रूप में नहीं देते।
– सभी निर्देश और केस से जुड़ी बातचीत केवल व्हाट्सएप कॉल के माध्यम से होती है, ताकि कोई आधिकारिक रिकॉर्ड न रहे।
*त्वरित जांच और न्याय की मांग
पत्रकार एवं *आई ज़ोन मुंबई* के संपादक नदीम कपूर ने इस मामले में न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने अपील की कि:
– सभी गिरफ्तार व्यक्तियों से मुलाकात कर उनकी स्थिति की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
– अमित घावटे के खिलाफ एक स्वतंत्र और पारदर्शी जांच कराई जाए ताकि भ्रष्टाचार और दुराचार का पर्दाफाश हो सके।
– निर्दोष लोगों को झूठे मामलों में फंसाने की प्रथा पर रोक लगाई जाए।
अगर इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हुई, तो यह भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग का एक खतरनाक उदाहरण बन सकता है। अब देखने वाली बात होगी कि संबंधित विभाग और न्यायपालिका इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।