अब वकील भी सुरक्षित नहीं! हाई-प्रोफाइल केस लड़ने पर मिलती है जान से मारने की धमकी



नदीम कपूर मुख्य संपादक*
मुंबई, 16 मार्च 2025: देश में कानून के रखवालों को ही अब अपनी सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। हाल के वर्षों में ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जहां हाई-प्रोफाइल केस लड़ने वाले वकीलों को धमकियां दी गई हैं, उन पर हमले हुए हैं और कई बार उनकी हत्या तक कर दी गई। सवाल यह उठता है कि जब न्याय की लड़ाई लड़ने वाले लोग ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?

*वकीलों को मिल रही हैं धमकियां*
हाई-प्रोफाइल मामलों में वकीलों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है। वे किसी भी पक्ष का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं, लेकिन जब वे संगठित अपराध, ड्रग माफिया, राजनेताओं या बड़े घोटालों से जुड़े मामलों की पैरवी करते हैं, तो उनकी जान पर बन आती है।

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले कई वकीलों ने खुलासा किया है कि उन्हें गवाहों को बचाने, सच को सामने लाने और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के बदले धमकियां मिलती हैं। कुछ मामलों में वकीलों के कार्यालयों पर हमले किए गए, उनकी गाड़ियों को नुकसान पहुंचाया गया और यहां तक कि उन पर जानलेवा हमले भी हुए।

सरकार क्यों नहीं देती सुरक्षा?
अगर न्यायपालिका का एक अभिन्न अंग होने के बावजूद वकील खुद असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, तो यह सरकार और कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। वर्तमान में सिर्फ जजों और कुछ गवाहों को ही सरकारी सुरक्षा दी जाती है, लेकिन हाई-प्रोफाइल मामलों की पैरवी करने वाले वकीलों के लिए कोई विशेष सुरक्षा व्यवस्था नहीं है।

वकील संघ और कई कानूनी विशेषज्ञ मांग कर रहे हैं कि
1. हाई-प्रोफाइल केस लड़ने वाले वकीलों को सरकारी सुरक्षा मिले।
2. अगर कोई वकील संगठित अपराध या माफिया से जुड़े केस लड़ रहा हो, तो उसे विशेष सुरक्षा दी जाए।
3. वकीलों पर हमलों के मामलों में फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो और दोषियों को सख्त सजा मिले।

मुंबई में बढ़ी घटनाएं, वकील असुरक्षित

मुंबई, जो देश की कानूनी और आर्थिक राजधानी मानी जाती है, वहां भी वकीलों पर हमलों की घटनाएं बढ़ रही हैं। हाल ही में, मुंबई के वरिष्ठ वकील **नितीन सातपुते** के कार्यालय से **चोरी की वारदात** हुई। CCTV फुटेज में चोरी कैद हुई, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई। यह दिखाता है कि अपराधी किस हद तक बेखौफ हो चुके हैं।

न्याय की लड़ाई लड़ने वालों को बचाना जरूरी*

देश में जब एक पत्रकार पर हमला होता है, तो मीडिया संगठनों से लेकर सरकार तक उसकी सुरक्षा को लेकर चर्चा होती है। जब किसी नेता पर खतरा होता है, तो तुरंत उसे Z+ सुरक्षा दी जाती है। लेकिन वकील, जो जनता को न्याय दिलाने का काम करते हैं, उनकी सुरक्षा पर कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जाते?

अगर सरकार और प्रशासन ने इस गंभीर समस्या पर जल्द ध्यान नहीं दिया, तो न्याय की लड़ाई लड़ने वाले वकील खुद असुरक्षित महसूस करेंगे और इससे न्यायिक प्रणाली पर भी गंभीर असर पड़ेगा।


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